पंचक्रोशी यात्रा 2025: 118 KM धर्मपथ पर 23 अप्रैल से होगी शुरुआत, हर पड़ाव पर सुविधा और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम; 6 जगहों पर होगी हेड काउंटिंग !

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी उज्जैन की पावन भूमि पर पंचक्रोशी यात्रा — जिसे पंचेशानी यात्रा भी कहा जाता है — 23 अप्रैल 2025 से आरंभ होकर 27 अप्रैल 2025 को वैशाख अमावस्या पर पूर्ण होगी। यह यात्रा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि श्रद्धा, तप, आत्मशुद्धि और मोक्ष का मार्ग है, जो उज्जैन की धार्मिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है। लगभग 118 किलोमीटर लंबी इस पैदल तीर्थयात्रा को शास्त्रों में अत्यंत पुण्यदायी और पापों का नाश करने वाली यात्रा माना गया है।
यात्रा का आरंभ नागचंद्रेश्वर मंदिर से होता है, जहाँ से श्रद्धालु ‘बल’ लेकर पंचक्रोशी पथ पर निकलते हैं और पूर्ण होने पर पुनः नागचंद्रेश्वर भगवान को ‘बल’ अर्पित करते हैं। यह ‘बल लौटाने’ की परंपरा एक आत्मिक और आध्यात्मिक संवाद का प्रतीक है — जहाँ व्यक्ति भगवान को अपनी संपूर्ण श्रद्धा और तप समर्पित करता है।
यात्रा के प्रमुख पड़ाव और उपपड़ाव इस प्रकार हैं:
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नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर – 12 कि.मी.
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पिंगलेश्वर से कायावरोहणह्मेश्वर – 23 कि.मी.
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कायावरोहणह्मेश्वर से नलवा – 21 कि.मी.
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नलवा से बिल्केश्वर (अम्बोदिया) – 6 कि.मी.
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अम्बोदिया से कालियादेह – 21 कि.मी.
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कालियादेह से दुदरेश्वर (जैथल) – 12 कि.मी.
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दुदरेश्वर से उंडासा – 16 कि.मी.
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उंडासा से क्षिप्रा घाट, रेती मैदान – 12 कि.मी.
इन स्थानों पर श्रद्धालु रात्रि विश्राम करते हैं, धार्मिक अनुष्ठान, कीर्तन, पाठ और सामूहिक भजन संध्या का आयोजन होता है। यह यात्रा केवल शरीर की नहीं, आत्मा की यात्रा है, जो हर श्रद्धालु को तप, संयम, भक्ति और सेवा का सच्चा अर्थ सिखाती है।
प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाएं भी इस बार विशेष रूप से प्रशंसनीय हैं। हर पड़ाव एवं उपपड़ाव पर छाया के लिए टेंट, पेयजल, स्नानागार, शौचालय, चिकित्सा सुविधा, प्रकाश, नियंत्रण कक्ष एवं पुलिस केम्प स्थापित किए गए हैं। हर पड़ाव पर 20 बेड का अस्थाई चिकित्सालय तैयार किया गया है जिसमें आवश्यक दवाएं, स्टाफ और एम्बुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इसके अलावा सांची पॉइंट्स, उचित मूल्य की दुकानें और पेयजल टैंकर भी व्यवस्था का हिस्सा हैं।
सुरक्षा व्यवस्था भी अभूतपूर्व स्तर पर है। चूंकि यात्रा मार्ग में कई जलस्त्रोत पड़ते हैं — जैसे रामघाट, त्रिवेणी, गंभीर डेम, उंडासा तालाब आदि — ऐसे में होमगार्ड व एसडीईआरएफ के 115 जवान आपदा बचाव उपकरणों के साथ तैनात रहेंगे। ये जवान कुशल तैराक, डीप डाइवर्स और मोटरबोट चालकों के रूप में तीन शिफ्टों में गश्त करेंगे। मोटरबोट, लाइफ बॉय और जैकेट्स के माध्यम से जलस्त्रोतों की निगरानी की जाएगी और डेंजर ज़ोन की बेरिकेटिंग सुनिश्चित की गई है।
इसके अलावा 6 महत्वपूर्ण स्थानों पर हेड काउंटिंग के लिए कैमरे लगाए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और संख्या पर लगातार निगरानी बनी रहे। गर्मी को देखते हुए पूरे मार्ग पर मुरम डलवाया गया है और पानी का छिड़काव भी लगातार किया जाएगा।
कलेक्टर रोशनकुमार सिंह ने स्वयं यह आश्वस्त किया है कि चिकित्सा, बिजली, सफाई और सुरक्षा की हर पहलू पर गंभीरता से कार्य किया गया है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी श्रद्धालु को असुविधा ना हो। वहीं, डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेन्ट संतोष कुमार जाट ने भी जलस्त्रोतों का पूर्व निरीक्षण कर होमगार्ड और एसडीईआरएफ की तैनाती सुनिश्चित की है। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि स्नान व पूजन केवल चिन्हित स्थानों पर करें और सुरक्षा अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें।
बता दें, प्राचीन हिंदू ग्रंथों में इस यात्रा का उल्लेख मिलता है और इसे मोक्षदायिनी, पापों का नाश करने वाली यात्रा कहा गया है। यह केवल एक तीर्थयात्रा नहीं है, बल्कि आत्मशुद्धि और भौतिक जगत से विरक्ति का एक अनुभव है। यात्रा के दौरान श्रद्धालु तप, अनुशासन और भक्ति के माध्यम से न केवल अपने जीवन को शुद्ध करते हैं, बल्कि समाज और संस्कृति के साथ अपने संबंधों को भी सुदृढ़ करते हैं।